मंगलवार, 16 जनवरी 2018

Fanaa's Remembrance(HMH)

शहर ने शाम का  कहर भुला दिया 
अशार-ए-गम ने फिर से रुला दिया
न सोया गया ,न रोया गया
एहसान-ए-एहसास ऐसा करा दिया

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बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)