शुक्रवार, 23 मार्च 2018

दिल में तस्वीर.........

दिल में तस्वीर छुपाये फिरता हूँ 
रब का दर है,बार-बार गिरता हूँ 

झुक के समझो खुदा की रहमत को 
न मैं डरा हूँ न किसी से डरता हूँ 

दिल का सौदा है किसी से कर आओ 
उसी से जीता हूँ  उसी पे मरता हूँ 

हम भी शायर है ग़ज़ल  भी होंगे "फना" 
आँखों में पानी नहीं लाल लहू भरता हूँ 
HEAR MIND AND HEART

गुरुवार, 22 मार्च 2018

मंज़िल पाने की.................

मंज़िल पाने की ललक,
       न जाने क्या-क्या सीखा दिया। 
सो लेता हूँ काटो पे,
     कभी जमीं को गले लगा लिया। 

मंगलवार, 20 मार्च 2018

नामवर हैं वो..................

भगवान हैं वो,   

नदारद कैसे करें ।

मिलने को उनसे लोग                

कतारों में खड़े है।


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सोमवार, 19 मार्च 2018

रिवायत .................

बुरे तुम नहीं  बदगुमां  मैं भी  नहीं


फिर ये बगावत कैसी।


सुकूँ तुम्हें भी नहीं दर्द मुझे भी नहीं 
फिर ये मोहब्बत कैसी। 

मैं हिन्दू हूँ तू मुस्लिम है,
वो सिख है कोई इशाई 
फिर ये सियासत  कैसी। 

मैं कुफ्र हूँ तू पाक़ है 
फिर ये शिकायत कैसी।

"फना" कह दिया तुम सोचा भी नहीं 
फिर ये काबिलियत कैसी। 


बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)