गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

बुधवार, 11 अप्रैल 2018

आशियाना यहीं का

घर हर जगह होगा मगर 
आशियाना यहीं का होगा 

मदहोश फिरता है तस्वीर लेकर 
आशिक़ाना यहीं का होगा 

आशिक़ हो मगर आबारा नहीं 
दीवाना यहीं का होगा 

हँस मत हसीन हो इस क़दर 
अफसाना यहीं का होगा 

बात हर बार कुछ ऐसी रही 
मस्ताना यहीं का होगा 

आदमी को न मय की औकात थी 
मयखाना यहीं का होगा 

शायर हुआ हो गया मैं "फना"
शायराना यहीं का होगा 
Fanaa Akshay

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

वफाओं का सिला देना.......

नजाकत और क्या होगी ,ये नगमा भाव तो है बस,
अगर खुद को न समझो तो,खुदा को कैसे  समझ लोगे।


मेरी कमजोरी ...............

रास आई नहीं मेरी आदत,
मेरी कमजोरी बन गई ताक़त।

अब हमें बोझ क्यों बताते हैं,
मुझे हर रोज क्यों सुनाते हैं,
बदल रही है किसी की फितरत।

क्या समझें कैसे समझाऊ ,
दिल को कैसे-कैसे मनाऊ ,
करते नहीं हैं किसी से शिकायत। 

क्यों नशीहत शराब का बताते हो,
है ये आदत बुरी क्यों पिलाते हो,
गम है किसका हुई किस की चाहत। 


बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)