शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

धूप में ये चांद..


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Dhoop me ye chand kidhar nikleJab v niklein to shola nikle.धूप में ये चाँद किधर निकले जब भी निकलें तो शोला निकले (1)

Hogi na shiqayat raton ko kavi,

     Chahe rat chhoti ho batein badi,

     Wo mile to dil-a-arman nikle 

     Jab v niklein to........ 

होगी न शिकायत रातों को कभी 

चाहे रात छोटी हो बातें बड़ी 

वो मिलें तो दिल-ए-अरमां निकले 

जब भी निकलें तो....... 

                            

(2)

Tum to thande ho,kahin pighal jaogi,

      Banke pani sharab me mil jaogi,

      Jarre-jarre se tere tarafdar nikle

      Jab v niklein to.........

तुम तो ठन्डे हो,कहीं पिघल जाओगी 

बनके पानी शराब में मिल जाओगी 

जर्रे-जर्रे से तेरे तरफ़दार निकले 

जब भी निकलें तो.......... 

                               

(3)

Khyal unka hi rahta sab guzar jate hain,

     Unke sajde me shamo-sahar jate hain,

     Din guzarta nh,kaise rat nikle.

ख्याल उनका ही रहता सब गुजर जाते है 
उनके सज्जदे में शामों-सहर जाते है 
दिन गुजरता नहीं कैसे रात निकले 

धूप में ये चाँद किधर निकले 

जब भी निकलें तो शोला निकले  

     Jab v niklein to shola nikle....
     Dhoop me v ye chand kidhar nikle...

बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)