शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये,
ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये।
ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये।
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कब तक कलम उठा के लिखता रहूँगा मैं,
कुछ ऐसे वारदात का कुर्बत तो कीजिये।
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जाती, धरम या मजहब सबसे बड़ा है क्या,
इंसानियत समझने की जुर्रत तो कीजिये।
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 पत्थर खुदा हो गए आदमी की बात क्या 
औरऔरों की जरा खिदमत तो कीजिये

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बिक जाते हैं सब यहाँ मान लीजिये हुजूर, 
बस एक बार सोचके कीमत तो दीजिये ।
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TO WRITE SENTENCES..... WORDS ARE
तोहत,सोहबत,रहमत,बरकत,हरकत,ज़ुल्मत,
कीमत,हिम्मत,मेहनत , 



बंद कमरे में जो भी सोता है,
जो भी हस्ता है वो भी रोता है।

कोई कब तक उदास बैठेगा
नाम करके नबाब होता है।

नसीब का दोष है चाहे तुम कुछ व कहो
इंसान भी कभी जानबर होता है।


बुधवार, 18 अप्रैल 2018

बोतल शराब की

बोतल शराब की भी,मशहूर हो रहा है,

कोई विस्की पी रही है,रम कोई पी रहा है। 

रो-रो के जीने वाले,हँस-हँस के पी रहा  है

कोई गम में पी रहा है ,कम-कम में पी रहा है। 

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रो-रो के जीने वाले,हँस-हँस के पी रहा  है
हँस-हँस के पी रहा है,मर-मर के जी रहा है। 
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तुम जो सामने बैठो नशे की क्या जरुरत है 
मैं मय से कह रहा हूँ,मयआँखों से पी रहा हूँ।  
रो-रो के जीने वाले,हँस-हँस के पी रहा  है
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सादगी और भी होगी, नाराजगी और ही होगी,
बहाना क्या बहस में,हक़ीक़त कुछऔर ही होगा 
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तुम जो सोचो, मैं क्यों कह दू 
काबिल हो बता क्यों नहीं देते।
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रो-रो के जीने वाले,हँस-हँस के पी रहा  है

हँस-हँस के पी रहा है,मर-मर के जी रहा है। 
रो-रो के जीने वाले,हँस-हँस के पी रहा है

रविवार, 15 अप्रैल 2018

शहर सुनसान क्यों

शहर सुनसान क्यों,गलियां वीरान हो गए,  
मुझे आज लगता है सब भगवान हो गए। 
खबर तो होता मौसम सूरज चाँद तारों का 
लगता है इसीलिए सब आसमान हो गए। 

गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

बुधवार, 11 अप्रैल 2018

आशियाना यहीं का

घर हर जगह होगा मगर 
आशियाना यहीं का होगा 

मदहोश फिरता है तस्वीर लेकर 
आशिक़ाना यहीं का होगा 

आशिक़ हो मगर आबारा नहीं 
दीवाना यहीं का होगा 

हँस मत हसीन हो इस क़दर 
अफसाना यहीं का होगा 

बात हर बार कुछ ऐसी रही 
मस्ताना यहीं का होगा 

आदमी को न मय की औकात थी 
मयखाना यहीं का होगा 

शायर हुआ हो गया मैं "फना"
शायराना यहीं का होगा 
Fanaa Akshay

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

वफाओं का सिला देना.......

नजाकत और क्या होगी ,ये नगमा भाव तो है बस,
अगर खुद को न समझो तो,खुदा को कैसे  समझ लोगे।


बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)