WRITTEN and COMPOSED
🅰🅺🆂🅷🅰🆈 🆁🅰🅽🅹🅰🅽
कैसी-कैसी आफ़ते बदनाम क्या होता
इंसानियत है ही नहीं,इंसान क्या होता
लोग अब हमें मिलकर पैगाम देते हैं,
आदमियत है ही नहीं,ईमान क्या होता
पूछते -पूछते वो सवाल हो गए मेरे
प्रश्न रहा ही नहीं ,इम्तहान क्या होता
शौक -ए-जिंदगी मकशद हो गई है
सवालात ज़िन्दगी का,जवाब क्या होता
इंतजार -ए - आलम और जाने क्या -क्या
रात गुजरी ही नहीं ,दिन क्या होता
हम ही काफी है "फना "जहां के लिए
हम रहे ही नहीं ,जमाना क्या होता
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