शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

इश्क़ है इश्क़...................


इश्क़ है इश्क़, 

कायेनात बदल जाते हैं । 

इसमें हर इंसान, 
लाचार नज़र आते हैं । 

जो भी आता है,दिल जोड़ जाता है,
तोड़कर रिश्ते
फ़रिश्ते को भूल जाते हैं। 
  
ये भी वक़्त है,वज़ूद जिसका न कोई 
रब पहले से ,
तक़दीर लिख जाते हैं 

जोर क्या इश्क़ में दिल पे किसी का 
जो होना है 
नसीब से  हो जाते हैं। 

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