सोमवार, 26 मार्च 2018

दीद की हर..........

दीद की हर बात को मैं दाद दे रहा हूँ,
आपकी यादों  को थोड़ा साथ दे रहा हूँ।  
दुश्मन है अगर वो नफरत ही सही, 
पल जो गुजरें  हैं उनको खाद दे रहा हूँ।

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बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)