सोमवार, 9 अप्रैल 2018

वफाओं का सिला देना.......

नजाकत और क्या होगी ,ये नगमा भाव तो है बस,
अगर खुद को न समझो तो,खुदा को कैसे  समझ लोगे।


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बस एक बार

बस एक बार मुझको,मोहलत तो दीजिये, ऐसे कभी बयां न हो, हसरत तो कीजिये। ऐसे कभी बयां न हो, सोहरत तो दीजिये। ****** कब तक कलम उठा के लिखत...

HMH (hear mind and heart)