मैं हवाओ से दिल लगाया हूँ
है यही राज़ जो छुपाया हूँ
सोचूं भी तो किसे सोचूं
हर रंग में तुझको पाया हूँ
जब तुम साथ मेरे होते हो
वतन-ए-मौज़ को ले पाया हूँ
न शहर न कोई वतन जिसका
जिस जगह चाहा वहां पाया हूँ
ऐसा रिस्ता तुम्ही से क्यों मेरा
हरेक साँस में तुझको पाया हूँ
तुम जो रूठोगे साँस छूटेगी
तुम्हीं से ज़िन्दगी जो पाया हूँ
तूफां बनकर न बुझा दिल-ए-अरमां
करीब इतना न किसी को लाया हूँ
चाहत उनका ही रहता है "फना"
हर चाह में उनको चाहा हूँ
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